वोमेंटिंग और आयुर्वेद
जब पेट के पदार्थ मुंह और नाक के जरिये निष्काशन होता है, तो उस प्रक्रिया को उल्टियों के नाम से जाना जाता है। उल्टियाँ होने के कई कारण होते हैं जैसे कि अधिक या दूषित खाना खाना, बीमारी, गर्भावस्था, मदिरापान, विषाणुजनित संक्रमण, उदर का संक्रमण, ब्रेन ट्यूमर, मष्तिष्क में चोट, इत्यादि। उल्टियाँ होने के एहसास को मतली के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह उल्टियाँ आने से पहले का एहसास होता है, कारण नहीं।
उल्टियों के घरेलू उपचार
उल्टियों को बंद करने के लिए एक बहुत ही उम्दा उपाय है और वह है अदरक और उसकी जड़। आप अदरक के 2 केप्स्युल का प्रयोग कर सकते हैं या अदरक वाली चाय का सेवन कर सकते हैं। अदरक में पाचन क्रिया को ब-सजय़ाने की क्षमता होती है, और यह उदर में से हो रहे भोजन-ंउचयनली को परेशान करने वाले उस अनावश्यक स्राव में बाधा पैदा करता है, जिस स्राव से उल्टियाँ होती हैं।
1 ग्राम हरड़ का चूर्ण शहद के साथ चाटने से भी उल्टियाँ रोकने में मदद मिलती है।
एक और असरदार उपचार है कि आप अपनी उंगलियाँ धोकर एक ही बार अपने गले में घुसाकर पेट में जमा हुए पदार्थों को उल्टी के जरिये बाहर निकाल दें,ताकि उल्टी अंदर जमा न रहने पाएं।
आप एक दो लौंग अपने मुंह में रख सकते हैं, या लौंग के बदले दालचीनी या इलायची भी रख सकते हैं। यह मसाले उल्टियाँ विरोधक औषधियों का काम करते हैं और उल्टियाँ रोकने का यह बहुत ही असरदार उपचार होता है। अजवाइन, पेपरमिंट और कर्पूर का द्राव 15- पुदीनहरा की 20 बूँद तक की मात्रा में मिलाकर पिलाने से उल्टियाँ तुरंत रुक जाती हैं।
नींबू का टुकड़ा काले नमक के साथ अपने मुंह में रखने से आपको उल्टी का एहसास नहीं होगा।
उल्टियाँ होने से 12 घंटो बाद तक ठोस आहार का सेवन न करें, पर अपने आपको जालित रखने के लिए यानि निर्जलीकरण से बचाने के लिए भरपूर मात्रा में पानी और फलों के रस का सेवन करते रहें।
जब भी पानी पियें तो सादा पानी ही पियें। बाजार में उपलब्ध कार्बन युक्त शीत पेयों का सेवन बिलकुल भी न करें क्योंकि यह आपकी आँतों और उदर की जलन को बढाते हैं।
तैलीय, मसालेदार, भारी और मुश्किल से पचनेवाले खान—पान का सेवन न करें क्योंकि ऐसे खाद्य पदार्थ मरीज में उल्टियों का निर्माण करते हैं ।
खाना खाने के फौरन बाद न सोयें।
जब भी सोयें तो अपनी दाहिनी बाजू पर सोयें। इससे आपके पेट के पदार्थ मुंह तक नहीं आ सकेंगे।
उल्टियाँ रोकने के लिए जीरा भी एक नैसर्गिक उपचार माना गया है। आधा चम्मच पिसे हुए जीरे का सेवन करने से आपको पूर्ण रूप से उल्टियों से छुटकारा मिल जायेगा।
चावल के पानी से उल्टियों का उपचार एक बहुत ही प्रचलित और प्रमाणित उपचार कहलाया जाता है। 1 कप चावल पानी में उबाल लें। जब चावल पक जाएँ तो चावल निकालकर उस पानी का सेवन करें। इससे उल्टियाँ रुक जायेंगी। यह एक बहुत ही उत्तम उपचार है उल्टियों को रोकने के लिए।
एक चम्मच प्याज का रस नियमित अंतराल में सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
एक ग्लास पानी में शहद मिलाकर पीने से भी उल्टियाँ रुकने में मदद मिलती है।
सामान्य उबकाई में पेपरमिंट का सेवन हितकर होता है। इसे पान में रखकर सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
आयुर्वेदिक औषधियां
उल्टियों को रोकने की अन्य आयुर्वेदिक औषधियां हैं, एलादी चूर्ण, वन्तिहर रस, वृषभध्वज रस, रसेन्द्र रस, वान्तिहद रस वगैरह।
वैद्य एस0के0यादव
जब पेट के पदार्थ मुंह और नाक के जरिये निष्काशन होता है, तो उस प्रक्रिया को उल्टियों के नाम से जाना जाता है। उल्टियाँ होने के कई कारण होते हैं जैसे कि अधिक या दूषित खाना खाना, बीमारी, गर्भावस्था, मदिरापान, विषाणुजनित संक्रमण, उदर का संक्रमण, ब्रेन ट्यूमर, मष्तिष्क में चोट, इत्यादि। उल्टियाँ होने के एहसास को मतली के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह उल्टियाँ आने से पहले का एहसास होता है, कारण नहीं।
उल्टियों के घरेलू उपचार
उल्टियों को बंद करने के लिए एक बहुत ही उम्दा उपाय है और वह है अदरक और उसकी जड़। आप अदरक के 2 केप्स्युल का प्रयोग कर सकते हैं या अदरक वाली चाय का सेवन कर सकते हैं। अदरक में पाचन क्रिया को ब-सजय़ाने की क्षमता होती है, और यह उदर में से हो रहे भोजन-ंउचयनली को परेशान करने वाले उस अनावश्यक स्राव में बाधा पैदा करता है, जिस स्राव से उल्टियाँ होती हैं।
1 ग्राम हरड़ का चूर्ण शहद के साथ चाटने से भी उल्टियाँ रोकने में मदद मिलती है।
एक और असरदार उपचार है कि आप अपनी उंगलियाँ धोकर एक ही बार अपने गले में घुसाकर पेट में जमा हुए पदार्थों को उल्टी के जरिये बाहर निकाल दें,ताकि उल्टी अंदर जमा न रहने पाएं।
आप एक दो लौंग अपने मुंह में रख सकते हैं, या लौंग के बदले दालचीनी या इलायची भी रख सकते हैं। यह मसाले उल्टियाँ विरोधक औषधियों का काम करते हैं और उल्टियाँ रोकने का यह बहुत ही असरदार उपचार होता है। अजवाइन, पेपरमिंट और कर्पूर का द्राव 15- पुदीनहरा की 20 बूँद तक की मात्रा में मिलाकर पिलाने से उल्टियाँ तुरंत रुक जाती हैं।
नींबू का टुकड़ा काले नमक के साथ अपने मुंह में रखने से आपको उल्टी का एहसास नहीं होगा।
उल्टियाँ होने से 12 घंटो बाद तक ठोस आहार का सेवन न करें, पर अपने आपको जालित रखने के लिए यानि निर्जलीकरण से बचाने के लिए भरपूर मात्रा में पानी और फलों के रस का सेवन करते रहें।
जब भी पानी पियें तो सादा पानी ही पियें। बाजार में उपलब्ध कार्बन युक्त शीत पेयों का सेवन बिलकुल भी न करें क्योंकि यह आपकी आँतों और उदर की जलन को बढाते हैं।
तैलीय, मसालेदार, भारी और मुश्किल से पचनेवाले खान—पान का सेवन न करें क्योंकि ऐसे खाद्य पदार्थ मरीज में उल्टियों का निर्माण करते हैं ।
खाना खाने के फौरन बाद न सोयें।
जब भी सोयें तो अपनी दाहिनी बाजू पर सोयें। इससे आपके पेट के पदार्थ मुंह तक नहीं आ सकेंगे।
उल्टियाँ रोकने के लिए जीरा भी एक नैसर्गिक उपचार माना गया है। आधा चम्मच पिसे हुए जीरे का सेवन करने से आपको पूर्ण रूप से उल्टियों से छुटकारा मिल जायेगा।
चावल के पानी से उल्टियों का उपचार एक बहुत ही प्रचलित और प्रमाणित उपचार कहलाया जाता है। 1 कप चावल पानी में उबाल लें। जब चावल पक जाएँ तो चावल निकालकर उस पानी का सेवन करें। इससे उल्टियाँ रुक जायेंगी। यह एक बहुत ही उत्तम उपचार है उल्टियों को रोकने के लिए।
एक चम्मच प्याज का रस नियमित अंतराल में सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
एक ग्लास पानी में शहद मिलाकर पीने से भी उल्टियाँ रुकने में मदद मिलती है।
सामान्य उबकाई में पेपरमिंट का सेवन हितकर होता है। इसे पान में रखकर सेवन करने से भी लाभ मिलता है।
आयुर्वेदिक औषधियां
उल्टियों को रोकने की अन्य आयुर्वेदिक औषधियां हैं, एलादी चूर्ण, वन्तिहर रस, वृषभध्वज रस, रसेन्द्र रस, वान्तिहद रस वगैरह।
वैद्य एस0के0यादव
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