बच्चे कई बार सेक्स संबंधित ऐसे सवाल पैरंट्स से पूछ बैठते हैं, जिनका जवाब देना उलझन भरा काम होता है। कई बार मां-बाप ऐसे सवालों को टाल जाते हैं तो कई बार बच्चों को डांट देते हैं। दोनों ही चीजें बच्चे के मानसिक विकास के लिए नुकसानदायक हैं। फिर क्या करें ? बच्चे के ऐसे हर सवाल का खास तरीके से जवाब दें। कैसे, एक्सपर्ट्स से मिली जानकारी के आधार पर हम आपको बता रहे हैं—
4-9 साल के बच्चों के सवाल
बच्चे कहां से आते हैं ? मैं कहां से आया ? पड़ोस वाली आंटी का पेट बड़ा क्यों है ?( प्रेगनेंट महिला को देखकर)
यह एक ऐसा सवाल है, जो इस उम्र के लगभग हर बच्चे के दिमाग में उठता है। ऐसे सवाल पूछने पर बच्चे को डांटना या उसकी बात को आई-गई करना ठीक नहीं है, क्योंकि इस जिज्ञासा को अगर आपने शांत नहीं किया तो वह कहीं और से जानने की कोशिश करेगा और ऐसे में बहुत मुमकिन है कि वह भ्रमित हो जाए। इस उम्र के बच्चे कुदरत और जानवरों के उदाहरणों से किसी बात को अच्छी तरह समझ लेते हैं। ऐसे में इस सवाल का जवाब देने के लिए आप उसे कहीं गार्डन या बाहर वॉक पर ले जाएं। फूलों का उदाहरण देकर समझाएं कि कैसे वे पैदा होते हैं और फिर मां के शरीर से अलग होकर खुद अपनी बढ़ोतरी करते हैं। आप उसे सीधे-सीधे यह भी कह सकते हैं कि तुम्हारी मां के शरीर में एक खास अंग है , जिसे गर्भाशय कहते हैं। तुम वहीं से आए हो। इस उम्र में जन्म की पूरी प्रक्रिया के बारे में बताने की जरूरत नहीं है और न ही ऐसी कोई बात बच्चे को कहें कि वह भगवान के यहां से आया या उसे किसी साधु बाबा के यहां से लाए थे। उसे साफ-साफ बताएं कि वह मां के शरीर से पैदा हुआ है। प्रेग्नेंट महिला के बारे में भी बता सकते हैं कि इसी तरह उन आंटी के शरीर से भी एक बेबी पैदा होगा ।
अगर बच्चा पैरंट्स की शादी की ऐल्बम देखकर)कहे इसमें सबकी फोटो है,मेरी क्यों नहीं है ? तो इस सवाल को हैंडल करने के कई तरीके हो सकते हैं। 4-6 साल के बच्चों को असली बात समझा पाना मुश्किल है। इस सवाल का जवाब कुछ इस तरह दे सकते हैं कि तुम्हें तब तक मां-पापा इस दुनिया में लाए ही नहीं थे। भ्रमित करने वाले जवाब देने से बचना चाहिए।
लड़कियों और लड़कों के प्राइवेट पार्ट्स अलग-अलग क्यों होते हैं ? ( कई बार बच्चे एक-दूसरे के कपड़ों में झांकते हैं और उनकी जिज्ञासा बढ़ती है।)
इतनी छोटी उम्र में आप बच्चे को शरीर के अंगों की जानकारी नहीं दे सकते। इसलिए उसे समझाएं कि दुनिया में हर शख्स अलग होता है और अलग ही दिखाई देता है। ईश्वर ने हर शख्स को अलग-अलग बनाया है और इसीलिए उनके शरीर की बनावट भी अलग होती है। मसलन लड़कों के शरीर की बनावट अलग होती है और लड़कियों के शरीर की अलग। इसी तरह कुत्ता, बिल्ली, गाय, भैंस और भी तमाम जीव अपने आप में खास होते हैं। तुम लड़के हो और तुम्हारे अंग लड़कियों से अलग बनाए गए हैं।
सैनिटरी नैपकिन के बारे में पूछना कि यह क्या है ?
सैनिटरी नैपकिंस के बारे में पूछने पर बच्चों को बता सकते हैं कि ये नैपकिन हैं। जैसे नाक या हाथ पोंछने के लिए तुम सामान्य नैपकिन का इस्तेमाल करते हो , उसी तरह शरीर के प्राइवेट पार्ट्स को पोंछने और उन्हें साफ रखने के लिए मां इनका इस्तेमाल करती है। ये नैपकिन उन नैपकिन से थोड़े अलग होते हैं जिनका इस्तेमाल तुम करते हो, लेकिन इनका काम वही है। इस उम्र में इससे ज्यादा बच्चे को बताने की जरूरत नहीं है।
कॉन्डोम क्या होता है ? ( टीवी आदि में ऐड देखकर)
कॉन्डोम के बारे में बच्चे की जिज्ञासा बेहद नॉर्मल है। अगर घर में कॉन्डोम को छिपाकर भी रखा जाए तो भी इस बात की पूरी संभावना है कि बच्चे टीवी ऐड या सड़कों पर लगे विज्ञापनों के जरिए इस शब्द से परिचित हो चुके हों और इस बारे में आपसे जानने की कोशिश करें। इतने छोटे बच्चों को बता सकते हैं कि जैसे हाथों को किसी बीमारी से बचाने के लिए हम ग्लव्स पहन लेते हैं, उसी तरह कॉन्डम भी एक ग्लव्स की तरह होता है, जो पुरुषों को बीमारियों से बचाता है। अगर बच्चा 14-15 साल के आसपास है तो उसे यह भी कह सकते हैं कि कॉन्डम सेक्स के दौरान पुरुषों को बीमारी से बचाने और बेबी होने से रोकने के काम आता है। सेक्स शब्द का प्रयोग करने से घबराएं नहीं, क्योंकि बच्चे को शिक्षा देने के लिए एक-न-एक दिन इस शब्द का इस्तेमाल करना ही है।
9-14 साल के बच्चों के सवाल
मेरे शरीर में ये अचानक बदलाव क्यों आ रहे हैं ? मसलन दाढ़ी मूंछ आना , प्राइवेट पार्ट्स पर बाल, मुहांसों की शुरुआत आदि।
14-15 साल की उम्र किसी बच्चे को यौवन के बारे में जानकारी देने का सही समय है। बच्चों को सबसे पहले इस बात का एहसास दिलाया जाए कि उनके शरीर में जो भी बदलाव आ रहे हैं, वे बिल्कुल नॉर्मल हैं और जरूरी भी। उन्हें बताएं कि तुम्हारे शरीर के विभिन्न अंगों पर आने वाले बाल, आवाज में आने वाला बदलाव, मुंहासे निकलना आदि सभी कुछ नॉर्मल है और ऐसा हॉर्मोनल बदलाव की वजह से हो रहा है। ऐसा सभी के साथ होता है। हमारे साथ भी ऐसा हुआ था। लड़कियों और लड़कों दोनों में ही ऐसे बदलाव आते हैं, हालांकि कुछ चीजें लड़कों और लड़कियों दोनों में अलग-अलग हो सकती हैं।
पीरियड्स क्या होते हैं ?
यह जानना जरूरी है कि लड़कियों को पीरियड्स की जानकारी उस समय ही दे दी जानी चाहिए, जब उनके पीरियड्स शुरू नहीं हुए हों और होने वाले हों। यह ऐसा सवाल है, जिसका जवाब मां को बेटी के पूछने से पहले ही दे देना है। ऐसी अवस्था कौन-सी होगी, इसका फैसला मां से बेहतर कोई नहीं कर सकता, फिर भी आमतौर पर 14 साल की उम्र यह सब जानकारी देने के लिए ठीक है। इस बारे में जानकारी देने का काम मां खुद करे । उन्हें बताया जा सकता है कि यह नॉर्मल है और सभी लड़कियों के साथ ऐसा होता है। बेटियों के साथ मां अपना पर्सनल अनुभव भी शेयर कर सकती हैं और उन्हें सभी बातें विस्तार से बता सकती हैं। मां उन्हें बता सकती हैं कि उनके साथ भी जब ऐसा हुआ था, तो उन्हें भी अजीब-सा लगा था और दर्द भी हुआ लेकिन बाद में यह बिल्कुल नॉर्मल चीज बन गई।
बच्चा कैसे पैदा होता है ?
इस उम्र तक आते-आते बच्चे की समझ इतनी विकसित हो जाती है कि वह बच्चा पैदा होने के बारे में थोड़ा-बहुत समझ ले। उसे बता सकते हैं कि बच्चा मां के पेट में होता है। जब बच्चा पैदा होने वाला होता है तो मां के पेट के अंत में मौजूद सर्विक्स फैलने लगती है। वहां की मांसपेशियां बच्चे को बाहर धकेलने लगती हैं और बच्चा मां के प्राइवेट पार्ट के जरिए बाहर आ जाता है।
बाल यौन शोषण(चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूज)
बच्चों का यौन शोषण करने वाले लोग दिखने में सामान्य ही होते हैं, लेकिन देखा गया है कि ऐसे लोग बच्चों के साथ जरूरत से ज्यादा वक्त बिताते हैं और उनके साथ ज्यादा घुलने-मिलने की कोशिश करते हैं। ऐसे लोगों को पकड़ना या उनकी पहचान कर पाना आसान नहीं है। कई बार ऐसे लोग आपके बेहद नजदीकी भी हो सकते हैं, जिन पर आप शक भी नहीं कर पाएंगे। ऐसे में बेहतर यही है कि बच्चे को बाल यौन शोषण के बारे में परिचित कराएं और उसे साफ-साफ बताएं कि अगर कोई भी उसके साथ ऐसी हरकत करता है तो वह फौरन आपको बताए।
ऐसे समझाएं बच्चे को
यौन शोषण से बच्चे खुद को बचा सकें, इसके लिए यह जरूरी नहीं है कि उन्हें पूरी सेक्स एजुकेशन ही दी जाए। देखिए, एक जागरूक और समझदार मां अपनी बेटी को कैसे बता सकती है इस सबके बारे में। आप भी यह तरीका अपना सकते हैं:—
- बेटा, टच तीन तरह के होते हैं। गुड टच, बैड टच और सीक्रेट टच।
- गुड टच वह टच होता है, जिससे तुम्हें खुशी मिलती है। जैसे कोई तुम्हें गले से लगा ले, तुमसे हाथ मिला ले, तुम्हारी पीठ थपथपा दे या हाई फाइव करे।
- दूसरी तरफ बैड टच तुम्हें परेशान करता है। इससे तुम्हें बुरा लगता है। मसलन कोई तुम्हें नोच ले, चिकोटी काट ले या किक मार दे।
- अब बात सीक्रेट टच की। सीक्रेट टच के दो हिस्से होते हैं। पहला हिस्सा यह है कि यह टच तुम्हारे प्राइवेट पार्ट्स पर किया जाता है यानी शरीर के उन हिस्सों पर जो स्विम सूट पहनने के दौरान कवर हो जाते हैं। मोटे तौर पर ये तीन अंग हैं। सीना, बॉटम और आगे का हिस्सा। याद रखो ये प्राइवेट हिस्से हैं और इन्हें देखने और टच करने का अधिकार किसी को नहीं है। सीक्रेट टच का दूसरा हिस्सा यह होता है कि ऐसा टच करने वाला व्यक्ति तुम्हें यह कहेगा कि इस बात को किसी को मत बताना। हो सकता है, वह तुम्हें डराए और धमकाए कि यह बात किसी को नहीं बतानी है। यहां यह जानना जरूरी है कि नहलाते वक्त मां ऐसा कर सकती है। वह सीक्रेट टच नहीं है क्योंकि वह कभी नहीं कहती कि यह बात किसी को बताना मत। इसी तरह डॉक्टर अगर तुम्हें इन जगहों पर टच करते हैं, तो वह भी सीक्रेट टच नहीं है क्योंकि डॉक्टर भी यह कभी नहीं कहते कि यह किसी से कहना मत। हालांकि डॉक्टर तुम्हारे इन अंगों को चेक तभी कर सकते हैं, जब तुम्हारे मां या पापा में से कोई साथ हो। लेकिन अगर कोई शख्स तुम्हें ऐसी जगहों पर टच करे और तुम्हें धमकाए या कहे कि यह बात किसी को मत बताना तो यह बात तुम्हें फौरन अपने मम्मी या पापा को जरूर बतानी है।
एक्सपर्ट्स से पूछें
हर बच्चा अपने आप में यूनीक है और हर बच्चे के मन में उठने वाले सवालों का स्तर भी। हमने कई आम सवालों को छूने की कोशिश की है, फिर भी अगर आपका बच्चा कोई ऐसा सवाल पूछता है जिसका यहां जिक्र होने से रह गया है, तो आप हमें अपना सवाल हिंदी या अंग्रेजी में लिख सकते हैं। मेल करें: socialsamvad@gmail.com पर। हमारे एक्सपर्ट आपको बताएंगे कि उस सवाल का सही जवाब बच्चे को कैसे दिया जाए।
कुछ उलझन भरी स्थितियां
- अगर बच्चा पैरंट्स को लवमेकिंग करते देख ले।
अगर बच्चा पैरंट्स को प्राइवेट पलों में देख ले, तो उसके मन पर इसका गहरा असर हो सकता है। ऐसे में उसे हर बात समझाना जरूरी है। अगर पैरंट्स ऐसी स्थिति में नहीं हैं कि बच्चे के सामने आ सकें और बच्चा अचानक कमरे में आ जाता है, तो हड़बड़ाएं नहीं। उसे आराम से कह दें, बेटा अभी मां-पापा को प्राइवेट टाइम चाहिए। अभी अपने कमरे में चले जाओ, तो कुछ ही मिनट में हम आपसे बात करेंगे। बाद में बच्चे को समझाएं कि मां-पापा एक-दूसरे को प्यार कर रहे थे। ऐसा करते वक्त हम दरवाजा बंद कर लेते हैं क्योंकि यह सब प्राइवेट होता है, लेकिन आज हम दरवाजा बंद करना भूल गए। अब बच्चे के रिएक्शन देखें। अगर बच्चा अभी भी परेशान है तो उसे समझाएं कि न तो उसने ऐसे अचानक आकर कोई गलती की है और न ही मां-पापा कोई गलत काम कर रहे थे। यह सब नॉर्मल है। कोशिश करें कि बच्चे के मन में कहीं भी यह भाव न पनपने पाए कि पापा मां को परेशान कर रहे थे।
- अगर टीवी देखते हुए कोई लवमेकिंग या किसिंग सीन आ जाता है।
टीवी देखते वक्त अगर अचानक किसिंग या लवमेकिंग सीन आ जाए तो हड़बड़ाएं नहीं और न ही टीवी बंद करने या चैनल बदलने की कोशिश करें। सहज भाव से उसे वैसे ही चलने दें और जब सीन खत्म हो जाए तो बच्चे को देखें। अगर वह असहज है या खुद ही उसके बारे में पूछ बैठता है तो इसे शिक्षा देने का एक मौका समझें। बच्चे को उसकी उम्र के मुताबिक, इस बारे में समझा सकते हैं। मसलन ये लोग आपस में प्यार कर रहे थे या यह दो बड़े लोगों के बीच प्यार करने का एक तरीका होता है। अगर आप असहज हो गए या चैनल बदला तो बच्चे पर गलत असर हो सकता है, लेकिन उसे सही सूचना देने से उस पर गलत असर कभी नहीं होगा।
- अगर बच्चा बड़ों को कपड़े बदलते या नहाते चुपचाप देखने की कोशिश करता है।
जिज्ञासा के चलते बच्चे छुपकर बड़ों को कपड़े बदलते या नहाते देखने की कोशिश कर सकते हैं। ऐसा होना नॉर्मल है। ऐसे में, उन्हें समझाएं कि यह गलत बात हैं। किसी को भी छिपकर नहीं देखना चाहिए। उनसे कहें- तुम्हें भी यह अच्छा नहीं लगेगा कि तुम्हें कोई छिपकर देखे। इसलिए तुम्हें भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए। भूलकर भी बच्चे को डांटें नहीं। उसे यह एहसास न होने दें कि उसने कोई गलत काम कर दिया है। अगर बच्चे को थोड़ी समझ है तो इस मौके पर उसे पुरुष और स्त्री के अंगों के बारे में भी थोड़ी जानकारी दी जा सकती है।
समझाते वक्त पैरंट्स रखें ध्यान
- बच्चे को सेक्स से संबंधित ज्ञान देने की कोई उम्र नहीं होती। यह हर बच्चे के स्तर पर निर्भर करता है। वैसे बच्चे की सेक्स एजुकेशन तभी शुरू हो जाती है , जब वह पालने में होता है।
- बच्चे जब भी सेक्स से संबंधित कोई सवाल पूछें तो उसे एक ऐसे मौके के तौर पर देखना चाहिए, जब आप बच्चे की सेक्स एजुकेशन की शुरुआत कर सकते हैं।
- बच्चे जब भी इस तरह के सवाल पूछें, तो कोशिश यह होनी चाहिए कि उनके इन सवालों के जवाब एकांत में दिए जाएं। अगर बच्चा किसी के सामने सवाल पूछ बैठता है तो उसे प्यार से कह दें कि इसके बारे में हम तुम्हें बाद में बताएंगे और फिर इस वादे को पूरा करें।
- किसी भी सवाल का जवाब इस अंदाज में न दिया जाए, जो बालक की भावनाओं को भड़काए या उत्तेजित करे।
- बच्चे के साथ सख्त और गैर-दोस्ताना रवैया न रखें। आप जो भी बता रहे हैं , वह उसके विकासकाल के मुताबिक होना चाहिए। वैसे ज्यादा ज्ञान भी दे देंगे तो उसका कोई नुकसान नहीं होगा। ज्ञान कभी हानिकारक हो ही नहीं सकता।
- बच्चा अगर शांत स्वाभाव का है तो उसे इस विषय की ज्यादा बातें बता सकते हैं, जबकि चंचल बच्चों को थोड़ा कम ज्ञान देना ही ठीक रहता है।
- अगर कभी बच्चे के किसी सवाल का जवाब मालूम नहीं है या उसने कोई ऐसा प्रश्न पूछ डाला जिसका जवाब देने में आप झिझकते हैं या देना नहीं चाहते तो आप उससे कह सकते हैं - तुम्हारा सवाल बहुत अच्छा है, लेकिन हमें भी इसका जवाब पता नहीं है। हम इसका जवाब मालूम करने की कोशिश करेंगे और फिर तुम्हें बताएंगे।
- ध्यान रखें मां-बाप का आपस में और बच्चे के प्रति जैसा बर्ताव होगा, बच्चा सेक्स संबंधी ज्ञान को उसी के अनुरूप लेगा। जिन मां-बाप के बीच प्रेम होता है और जो बच्चे को भी इस बात का एहसास कराते हैं कि वे उसे बहुत प्यार करते हैं , उनके बच्चों के सेक्स संबंधी ज्ञान में ज्यादा और बेहतरीन तरीके से बढ़ोतरी होती है।
वैद्य एस0के0यादव
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