Friday, April 10, 2015

शूकर इन्फ्लूएंजा

शूकर इन्फ्लूएंजा, जिसे एच1एन1 या स्वाइन फ्लू भी कहते हैं, विभिन्न शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणुओं मे से किसी एक के द्वारा फैलाया गया संक्रमण है। शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणु (SIV-एस.आई.वी), इन्फ्लूएंजा कुल के विषाणुओं का वह कोई भी उपभेद है, जो कि सूअरों की स्थानिकमारी के लिए उत्तरदायी है। 2009 तक ज्ञात एस.आई.वी उपभेदों में इन्फ्लूएंजा सी और इन्फ्लूएंजा ए के उपप्रकार एच1एन1 (H1N1), एच1एन2 (H1N2), एच3एन1 (H3N1), एच3एन2 (H3N2) और एच2एन3 (H2N3) शामिल हैं। इस प्रकार का इन्फ्लूएंजा मनुष्यों और पक्षियों पर भी प्रभाव डालता है। शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणु का दुनिया भर के सुअरो मे पाया जाना आम है। इस विषाणु का सूअरों से मनुष्य मे संचरण आम नहीं है और हमेशा ही यह विषाणु मानव इन्फ्लूएंजा का कारण नहीं बनता, अक्सर रक्त में इसके विरुद्ध सिर्फ प्रतिपिंडों (एंटीबॉडी) का उत्पादन ही होता है। यदि इसका संचरण, मानव इन्फ्लूएंजा का कारण बनता है, तब इसे ज़ूनोटिक शूकर इन्फ्लूएंजा कहा जाता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से सूअरों के सम्पर्क में रहते है उन्हें इस फ्लू के संक्रमण का जोखिम अधिक होता है। यदि एक संक्रमित सुअर का मांस ठीक से पकाया जाये तो इसके सेवन से संक्रमण का कोई खतरा नहीं होता। २०वीं शताब्दी के मध्य मे, इन्फ्लूएंजा के उपप्रकारों की पहचान संभव हो गयी जिसके कारण, मानव मे इसके संचरण का सही निदान संभव हो पाया। तब से ऐसे केवल 50 संचरणों की पुष्टि की गई है। शूकर इन्फ्लूएंजा के यह उपभेद बिरले ही एक मानव से दूसरे मानव मे संचारित होते हैं। मानव में ज़ूनोटिक शूकर इन्फ्लूएंजा के लक्षण आम इन्फ्लूएंजा के लक्षणों के समान ही होते हैं, जैसे ठंड लगना, बुखार, गले में ख़राश, खाँसी, मांसपेशियों में दर्द, तेज सिर दर्द, कमजोरी और सामान्य बेचैनी। चिन्ह व लक्षण सूअर में— शूकरों में शूकर इंफ्लूएंजा के मुख्य लक्षण— सूअरों में इन्फ्लूएंजा संक्रमण के कारण ज्वर, सुस्ती, छींक, खाँसी, साँस लेने में कठिनाई और भूख की कमी हो सकती है। कुछ मामलों में यह संक्रमण गर्भपात का कारण बन सकता है। हालांकि आमतौर पर मृत्यु सिर्फ 1-4% मामलों मे ही होती है। यह संक्रमण सूअर का वजन घटा और विकास को प्रभावित कर सकता है जो इनके पालको के आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है। संक्रमित सूअर का वजन 3 से 4 सप्ताह की अवधि के दौरान 5 से 6 किलोग्राम तक घट सकता है। मनुष्यों में शूकर इन्फ्लूएंजा का मुख्य लक्षण हैं: - ज्वर गले मे खरांश जुकाम खाँसी सिर व बदन दर्द जोड़ों में कठोरता उल्टी मूर्छा ठंड लगना कुछ मामलों में शूकर इन्फ्लूएंजा विषाणु का संचरण, सूअरों से सीधे मनुष्यों मे होना संभव है, इस स्थिति मे इसे ज़ूनोटिक शूकर इन्फ्लूएंजा कहा जाता है। 1958 से लेकर अभी तक ऐसे सिर्फ 50 मामले ही रिपोर्ट हुये हैं, जिनमे से भी सिर्फ 6 व्यक्ति ही मृत्यु का ग्रास बने हैं। इन छह लोगों में से एक गर्भवती महिला थी, एक को ल्यूकिमिया था, एक हॉजकिन रोग का शिकार था और दो लोग पहले से स्वस्थ थे। भले ही यह प्रत्यक्ष मामले बहुत कम लगे पर वास्तविक संक्रमण की सही दर इससे कहीं अधिक हो सकती है, क्योंकि ज्यादातर मामलों मे यह सामान्य रोग ही प्रतीत होता है और इस कारण इसे रिपोर्ट ही नहीं किया जाता। वर्गीकरण मानव इन्फ्लूएंजा के लिए उत्तरदायी, तीन वंशो के इन्फ्लूएंजा विषाणुओं मे से दो, सूअरों में भी इन्फ्लूएंजा फैला सकते हैं, जिसमे से इन्फ्लूएंजा ए तो बहुत आम है पर इन्फ्लूएंजा सी यदा कदा ही पाया जाता है। अभी तक इन्फ्लूएंजा बी को सूअरों में नहीं देखा गया है। इन्फ्लूएंजा ए और इन्फ्लूएंजा सी के भीतर मनुष्य और सूअरों में पाये जाने वाले उपभेद भिन्न होते हैं हालांकि पुन:पृथक्करण (रीअसोर्टमेंट) के कारण उपभेदों मे बड़े पैमाने जीन का स्थानांतरण देखा गया है चाहें यह सूअर, पक्षी या मानव प्रजाति में उपस्थित हो। इन्फ्लूएंजा सी इन्फ्लूएंजा सी विषाणु, मानव और सूअरों दोनों को संक्रमित करता है लेकिन इसका संक्रमण पक्षियों मे नहीं होता। अतीत मे भी इसका संचरण सूअरों और इंसानों के बीच हुआ है। उदाहरण के लिए, इन्फ्लूएंजा सी के कारण जापान और कैलिफोर्निया में बच्चों के बीच इन्फ्लूएंजा का कम प्रभावी प्रकार फैला था। अपनी सीमित परपोषी रेंज और आनुवंशिक विविधता की कमी के कारण इन्फ्लूएंजा सी मानव में महामारी का कारण नहीं बन पाया है। इन्फ्लूएंजा ए शूकर इन्फ्लूएंजा, इन्फ्लूएंजा ए के उपप्रकार एच1एन1,एच1एन2,एच3एन1,एच3एन2,और एच2एन3.के कारण होता है। पूरे विश्व मे सूअरों में, तीन इन्फ्लूएंजा ए विषाणु उपप्रकार एच1एन1, एच3एन2 और एच1एन2 सबसे आम हैं। पृष्ठभूमि एच१एन१ स्पैनिश फ्लु से आया, जो 1918 और 1919 के दौरान फैली एक महामारी थी जिससे लगभग 5 करोड़ लोग मारे गए थे। जो वायरस स्पैनिश फ्लु से आया वह सूअरों में विद्यमान रहा। इसका संचलन 20 वीं सदी के दौरान मनुष्यों में भी हुआ, यद्यपि यह वर्ष के उस समय होता है जब प्रतिवर्ष होने वाली महामारियाँ फैलती हैं, जिससे 'सामान्य' इंफ्लुएंजा और शूकर इंफ्लुएंजा में अंतर कर पाना कठिन है। हालांकि सुअरों से मनुष्यों में होने वाले संक्रमण के मामले बहुत विरल हैं और 2005 के बाद से अमेरिका में 12 मामले पाए गए हैं। शूकर इंफ्लुएंजा कहाँ पाया जाता है मनुष्यों में शूकर इंफ्लुएंजा यह शूकर के द्वारा मनुष्यों में फैला। बचाव हर किसी को अपना मुँह और अपनी नाक ढक कर रखना जरूरी है, खासकर तब जब कोई छींक रहा हो। बार-बार हाथ धोना जरूरी है। अगर किसी को ऐसा लगता है कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है तो उन्हें घर पर रहना चाहिये। ऐसी स्थिति में काम या स्कूल पर जाना उचित नहीं होगा और जहां तक हो सके भीड़ से दूर रहना फायदेमंद साबित होगा। अगर सांस लेने में तकलीफ होती है, या फिर अचानक चक्कर आने लगते हैं, या उल्टी होने लगती है तो ऐसे हालात में फ़ौरन डॉक्टर के पास जाना जरूरी है। खराब पानी से दूर रहे यदि किसी को यह बीमारी है, तो उससे कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाकर रहें। यह बीमारी ठंड में अधिक फैलता है। दिन और रात का तापमान यदि 25॰C से ऊपर हो तो इसके विषाणु मर जाते हैं। वैद्य एस0के0यादव

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